कई लोग दीर्घकालिक पीठ और गर्दन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए, सर्जरी के बजाय, बिना सर्जरी वाले तरीकों की तलाश कर रहे हैं। जब दवाओं और स्टेरॉयड उपचार जैसे पारंपरिक तरीकों से होने वाले साइड इफेक्ट्स के कारण राहत नहीं मिलती, तो मरीज फिजिकल व्यायाम, कायरोप्रैक्टिक थेरेपी जैसे विकल्पों को प्राथमिकता देते हैं।
जब मरीजों को नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन जैसी नई तकनीकों के बारे में बताया जाता है, तो उनके मन में पहला सवाल यह आता है कि “क्या यह ट्रैक्शन थेरेपी जैसा है?”
आइए इस सवाल के पीछे के तथ्यों को समझते हैं।
ट्रैक्शन थेरेपी और नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार की तुलना
कई मामलों में रीढ़ की हड्डी पर ज्यादा दबाव स्पाइनल डिस्क के उभरने या हर्नियेट होने का कारण बनता है। इस दबाव को कम करने के लिए कई फिजियोथेरेपिस्ट स्पाइनल डीकंप्रेशन या ट्रैक्शन थेरेपी का उपयोग करते हैं।
कई शोध अध्ययनों से पता चला है कि आधुनिक मशीनों से दिया गया स्पाइन में खिंचाव तेज़ दर्द से राहत दिला सकता है।
ट्रैक्शन थेरेपी
ट्रैक्शन थेरेपी एक पुरानी तकनीक है जिसमें स्लिंग, रस्सी, और पुली का उपयोग करके खिंचाव पैदा करने के लिए मरीज को विपरीत दिशाओं में खींचा जाता है।
इस प्रक्रिया में रीढ़ के किसी विशिष्ट क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना संभव नहीं होता और न ही प्रेशर की तीव्रता को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
इसलिए, आस-पास के क्षेत्रों में भी खिंचाव हो सकता है, और ढील व पकड़ के कारण मांसपेशियों में ऐंठन (मसल गार्डिंग) हो सकती है। यह प्रक्रिया केवल पुरे शरीरकी खिंचाव पर आधारित होती है, ना किसी विशिष्ट क्षेत्र पर।
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट
नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन एक कंप्यूटराइज्ड डीकंप्रेशन टेबल पर किया जाता है जिसमें अलग-अलग भाग होते हैं। इससे किसी विशिष्ट डिस्क पर ध्यान केंद्रित करके, अनेक दिशाओं में रुक-रुक कर प्रेशर दिया जा सकता है।
- यहाँ गर्दन (सर्वाइकल) या निचले हिस्से (लंबर) को खींचने के लिए अलग-अलग तरीके से प्रेशर दिया जाता है।
- क्योंकि टेबल कंप्यूटराइज्ड होती है, इसलिए दिया जानेवाला प्रेशर सात सेंसरों के माध्यम से लगातार मापा जाता है, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन होने की संभावना नहीं रहती।
- यहाँ मानवी गलती की कोई संभावना नहीं होती। प्रेशर का बनना स्वचालित रूप से नियंत्रित किया जाता है, और हर मिलीसेकंड में यह प्रेशर रिलीज़ होता है। इस दौरान, मरीज को केवल डीकंप्रेशन टेबल पर लेटना होता है।
- इसके अलावा, टेबल में ८ विभिन्न प्रोग्रॅम्स होते हैं जो रीढ़ के पिछले और अगले हिस्सों में अलग-अलग तरह के खिंचाव प्रदान करते हैं।
ट्रैक्शन और नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन के बीचका अंतर
साधारण शब्दों में, ट्रैक्शन का मतलब है रीढ़ पर थोडासा खिंचाव देना ताकि स्पाइनल डिस्क के ऊपर का दबाव कम किया जा सके। वहीं, नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन के साथ नियंत्रित तरीके से और रुक-रुक कर खिंचाव और फिर आराम दिया जाता हैं।
ट्रैक्शन पुरे रीढ़ की हड्डी को खींचने की प्रक्रिया है, जबकि स्पाइनल डीकंप्रेशन रीढ़ के विशिष्ट भागोंमें दबाव कम करने की प्रक्रिया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
1) क्या उभरी हुई डिस्क अपने आप ठीक हो सकती है?
हाँ, कई मामलों में, उभरी हुई डिस्क के लक्षण समय के साथ ठीक हो जाते हैं।
2) क्या MRI उभरी हुई डिस्क दिखा सकता है?
MRI हर्नियेटेड और उभरी हुई डिस्क का पता लगाने के लिए सर्वोत्तम निदान परीक्षण है।
3) क्या मालिश से उभरी हुई डिस्क में मदद मिलती है?
मालिश दीर्घकालिक पीठदर्द से कुछ समय की राहत प्रदान कर सकता है, जो उभरी हुई डिस्क के कारण होता है।
ANSSI के बारे में:
ANSSI Wellness रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।
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