सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस एक सामान्य लेकिन दर्दनाक स्थिति है, जो गर्दन की हड्डियों, डिस्क और जोड़ों में घिसाव के कारण होती है। यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती है और आपकी गलत जीवनशैली इसे और गंभीर बना सकती है। अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह गर्दन, कंधे, और हाथों में दर्द और जकड़न पैदा कर सकती है।
आईये हम चर्चा करे पुरे विस्तार से, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के कारण, लक्षण, रोकथाम, और उपचार के तरीकों पर।
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के कई लक्षण होते हैं, जो धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं।
- गर्दन में दर्द और जकड़न: सुबह उठने के बाद या लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहने से दर्द बढ़ सकता है।
- सिरदर्द: गर्दन से जुड़े तंत्रिकाओं (नर्वस) पर दबाव पड़ने के कारण सिरदर्द हो सकता है।
- हाथों और कंधों में दर्द या झुनझुनी: सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस तंत्रिकाओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे हाथों और कंधों में कमजोरी, दर्द, या सुन्नता महसूस हो सकती है।
- चक्कर आना और संतुलन खोना: कुछ मामलों में, यह स्थिति कानों से जुड़ी नसों को प्रभावित कर सकती है, जिससे चक्कर आ सकते हैं।
- शरीर की गतिशीलता में कमी: गर्दन घुमाने या झुकाने में कठिनाई हो सकती है, जिससे दैनिक गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के कारण
यह समस्या कई कारणों से हो सकती है, जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- उम्र बढ़ना: उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों और डिस्क में बदलाव होते हैं, जिससे स्पोंडिलोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
- गलत पोश्चर: लंबे समय तक झुककर बैठना, मोबाइल और लैपटॉप का अधिक इस्तेमाल करना इस स्थिति को बढ़ा सकता है।
- हड्डियों का क्षय: ऑस्टियोआर्थराइटिस और अन्य हड्डी संबंधी बीमारियों से हड्डियों की मजबूती कम हो सकती है।
- अनुवांशिक कारण: यदि परिवार में किसी को यह समस्या रही है, तो इसकी संभावना अधिक हो सकती है।
- गर्दन की पुरानी चोटें: पहले लगी चोटें या झटके भी सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस पैदा कर सकते हैं।
- खराब जीवनशैली: शारीरिक गतिविधियों की कमी, मोटापा, और अस्वस्थ खान-पान इस समस्या को और बढ़ा सकते हैं।
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की रोकथाम
इस समस्या को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियाँ अपनाकर इसे कम किया जा सकता है।
- सही पोश्चर बनाए रखें: बैठते और खड़े होते समय रीढ़ को सीधा रखें।
- लंबे समय तक एक ही स्थिति में न रहें: हर ३०-४० मिनट में ब्रेक लें और हल्की स्ट्रेचिंग करें।
- वजन नियंत्रित रखें: अतिरिक्त वजन गर्दन और रीढ़ पर दबाव डालता है, जिससे समस्या बढ़ सकती है।
- योग और व्यायाम करें: नियमित रूप से गर्दन और कंधों की स्ट्रेचिंग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें।
- सही तकिए और गद्दे चुनें: बहुत ऊँचा या सख्त तकिया इस्तेमाल ना करे और गर्दन को सपोर्ट देने वाले गद्दे का उपयोग करें।
- पानी अधिक पिएं: हड्डियों और डिस्क को स्वस्थ रखने के लिए अच्छेसे पानी पीना बहुत जरूरी है।
- तनाव कम करें: मानसिक तनाव गर्दन की मांसपेशियों को जकड़ सकता है, जिससे दर्द बढ़ सकता है।
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के उपचार
अगर गर्दन में दर्द और जकड़न लगातार बनी रहे, तो विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।
बिना सर्जरी के उपचार
- फिजियोथेरेपी: गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाने के लिए व्यायाम की सलाह दी जाती है।
- स्पाइनल डीकंप्रेशन ट्रीटमेंट: यह एक नॉन-सर्जिकल तकनीक है, जो रीढ़ पर दबाव कम करके दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है।
- दवाइयाँ: हल्के दर्द के लिए डॉक्टर सूजन कम करने वाली और मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाइयाँ दे सकते हैं।
- गर्म और ठंडी सिकाई: सूजन और दर्द कम करने के लिए गर्म या ठंडे पैक का उपयोग किया जा सकता है।
- जीवनशैली में बदलाव: सही आहार, व्यायाम, और अच्छी नींद लेने से सुधार हो सकता है।
सर्जरी (गंभीर मामलों में)
जब नॉन-सर्जिकल उपचार काम नहीं करता और तंत्रिकाओं पर अत्यधिक दबाव पड़ने लगता है, तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। डॉक्टर आमतौर पर डिस्क रिप्लेसमेंट या स्पाइनल फ्यूजन जैसी प्रक्रियाएँ सुझा सकते हैं।
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