दीर्घकालिक पीठ दर्द को अब दुनिया भर में प्रमुख बीमारियों में से एक है।

आम रीढ़ की समस्याएं और उनके बिना-सर्जरी उपचार

दीर्घकालिक पीठ दर्द को अब दुनिया भर में प्रमुख बीमारियों में से एक है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में पीठ दर्द एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, जो ६६% लोगों में पायी जाती हैं।

रीढ़ की समस्याएं

पीठ दर्द के कई कारणों में, कुछ रीढ़ की बीमारियां महत्वपूर्ण हैं। हम यहाँ बात करेंगे उन गंभीर रीढ़ की बिमारियों की जिनसे सर्जरी तक की नौबत आ सकती है। हम ऐसे बिमारियों के लिए बिना सर्जरी उपचारों की भी बात करेंगे।

हर्निएटेड डिस्क

हमारे रीढ़ की संरचना छोटे हड्डियों बनी है जिन्हें वर्टेब्रे कहा जाता है। इन हड्डियों के बीच इंटरवर्टेब्रल डिस्क होती हैं, जिनमें तरल पदार्थ होता है, जो रीढ़ को लचीला बनाता है। जब कोई डिस्क हर्निएट होती है, तो यह तरल पदार्थ खिसक कर संरक्षक आवरण से बाहर आता है।

फिर यह पदार्थ रीढ़ की नसों पर दबाव डालता है और दर्द का कारण बनता है।

मांसपेशियों में खिंचाव

थकान, तनाव और गलत पोस्चर की वजह से रीढ़ के आसपास की मांसपेशियोंमें खिंचाव आता हैं। इससे गर्दन से पीठ तक दर्द और जकड़न हो सकती है। पीठ की मांसपेशियोंकी सेहत में सुधार के लिए हमें व्यायाम करना चाहिए और अतिरिक्त वजन ना बढे इसका ध्यान रखना चाहिए। किसी भी शारीरिक परिश्रम से पहले वार्म-अप करना भी जरूरी है।

स्कोलियोसिस

स्कोलियोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें रीढ़ असामान्य रूप से मुड़ी हुई होती है। यह बीमारी गंभीरभी हो सकती है। भारत में स्कोलियोसिसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं हैं, लेकिन अमेरिका में २-३% आबादी इससे प्रभावित है।

व्हिपलैश

यह एक गर्दन की चोट है, जो सिर के अचानक झटकनेसे होता हैं। यह झटक गर्दन की मांसपेशियों को ज्यादा खिंचाव देती है, जिससे रीढ़ के जॉइंट्स, डिस्क इनके साथ गर्दन और कंधे के लिगामेंटभी प्रभावित होते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस

यह एक ऐसी बीमारि है जो बुजुर्गों में ज्यादा देखी जाती है, जिसमे हड्डियां कमजोर होती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस से रीढ़ की हड्डियोंमें दबाव और फ्रैक्चर आकर शरीर आगे की तरफ झुक सकता हैं।

कंप्रेशन फ्रैक्चर

यह बीमारि वृद्ध लोगों में सामान्य है। यहां रीढ़ की हड्डियां इतनी कमजोर होती हैं कि उनमें दरारें आ सकती हैं या कमजोरी के कारण हड्डियां टूट सकती है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस

यह जोड़ों की सूजन है जो समय के साथ बढ़ सकती है। यह हाथों और पैरों के साथ रीढ़ को भी प्रभावित करती है।

रीढ़ की बिमारियों पर बिना-सर्जरी उपचार

ज्यादातर मामलों में, लक्षणों को फिजिकल थेरेपी और दवाओं की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है।

  • फिजिकल थेरेपी: पीठ दर्द को कम करने के लिए शारीरिक व्यायाम विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में किया जाता है।
  • सचेत रहना और मेडिटेशन: यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  • आहार में बदलाव: ट्रांस फैट, रिफाइंड शुगर, और प्रोसेस्ड फूड को टालना जरुरी हैं।
  • जीवन शैली में बदलाव: अनावश्यक तनाव से बचने के लिए आरामदायक, मज़ेदार शारीरिक गतिविधियों को प्राथमिकता दें।
  • इंजेक्शन-आधारित उपचार: ट्रिगर पॉइंट इंजेक्शन, नसों की ब्लॉक थेरेपी जैसे उपाय किये जा सकते हैं।
  • औषधीय उपचार: इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरीज, मसल रिलैक्सेंट्स, और एंटी-डिप्रेसेंट्स जैसी दवाईयां दी जाती हैं।
  • वैकल्पिक उपचार: एक्यूपंक्चर, मसाज, बायोफीडबैक ऐसे विकल्पभी उपलब्ध हैं।
  • नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन: यह रीढ़ की हड्डियों पर का दबाव कम करने और उसे ठीक करने के लिए एक आधुनिक, उपचार है जिसमे सर्जरी या दवाईयों जरुरत नहीं होती।

ANSSI के बारे में:
ANSSI वेलनेस रीढ़ की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है। आधुनिक नॉन-सर्जिकल स्पाइनल डीकंप्रेशन उपचार के माध्यम से, ANSSI मरीजों को बिना-सर्जरी एक सुरक्षित, प्रभावी, और देखभालपूर्ण माहौल में ठीक होने में मदद करता है।

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